Sochta Hu Kuchh Likhu Tumhare Liye!!!
"सोचता हूँ! कुछ लिखूँ तुम्हारे लिए
मगर क्या,
ज़हन में ये सवाल हज़ार बार आया |
क्या कुछ ऐसा है, जो रह गया हो
कुछ ऐसा, जिसे मैंने नज़र-अंदाज़ किया हो
या कुछ ऐसा, जो मैं चाहकर भी
तुम्हारे लिए लिख न पाया
सोचता हूँ! कुछ लिखूँ तुम्हारे लिए
मगर क्या,
ज़हन में ये सवाल हज़ार बार आया ||
कोई ऐसा किस्सा, जिसमें तुम्हारी मौज़ूदगी हो
या फिर एक लम्हा, जिसमें तुम्हारा साथ हो
या फिर, इन सबसे बेहतर
शायद वो वक़्त जो तुम्हारी आहटों पर
थम गया हो|
सोचता हूँ! कुछ लिखूँ तुम्हारे लिए
मगर क्या,
ज़हन में ये सवाल हज़ार बार आया |||
किसी नज़्म की रुबाइयों में डूबी
तुम्हारे ज़िक्र की आवाज़ें,
या तुम्हे ग़ज़लों में तलाशते
मेरी फ़िक्र के साये,
या फिर इन सबसे बेहतर
तमाम मासूम चेहरों पर बिखरी, उन बेपरवाह मुस्कानों में
जिन्हे देखकर, मेरी आँखें सिर्फ तुम्हे ढूंढती हों |
सिर्फ और सिर्फ तुम्हे ढूंढती हों | |
सोचता हूँ! कुछ लिखूँ तुम्हारे लिए
मगर क्या,
ज़हन में ये सवाल हज़ार बार आया
ज़हन में ये सवाल हज़ार बार आया"..........
Listen it on my YouTube channel:-
ReplyDeletehttps://youtu.be/LZrSEUbrc-c