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Showing posts from April, 2018

Mayoor Ke Pankh

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इंतज़ार !!!!! इस शब्द को सुनते ही कई लोगों के चेहरे पर मायूसी के काले बादल मंडराने लगते हैं पर यकीन मानिये उर्दू भाषा का यह शब्द जितना दिलकश है, इसकी तासीर भी उतनी ही खूबसूरत है|  बेशक़! हर शख्स की ज़िन्दगी में इस शब्द के मायने अलग हो सकते हैं लेकिन कहीं न कहीं इस शब्द का ठहराव हर इंसान की ज़िन्दगी में होता है|  इंतज़ार का अर्थ है प्रतीक्षा और यही प्रतीक्षा तो हमें स्तिरथा के गुण सिखाती है| यह उस अनंत सागर की तरह है जिसकी ना ही कोई सीमाएं हैं और ना ही कोई गहराई बल्कि ये तो वो सुन्हेरा सफर है जिसमे यात्री अपनी मंज़िल से ज़्यादा यात्रा से प्रेम करता है|  ये कहानी है इंतज़ार में गुज़रे उस वक़्त की जिसके पैमाने भले ही छोटे हों मगर गहरायी इतनी ज़्यादा है की उनमे सदियाँ बीत जायें| ये कहानी है शिव, शालिनी और मयूर के इंतज़ार की| आप चलना चाहेंगे मेरे साथ इस सफर पर? चलिए चलते हैं||  शहर के सबसे मशहूर स्कूल, St. Stephens Higher Secondary School, में जब शिव को दाखिला मिला तो उसके पूरे परिवार में खुशियाँ आ गयीं| शिव तेराह साल का था और पढ़ाई लिखाई से ज़्यादा उसे खेलना पसंद था| बचपन कितना खुशमिज़ाज होता है,

Sitaron Ki Jhilmilahat

कभी कभी शायद  ये सोचने की ज़रूरत नहीं पड़ती है कि आपके साथ अच्छा-बुरा या फिर सही-गलत क्यों हो रहा है! प्रकृति आपको किसी न किसी तरह से, कोई न कोई इशारा ज़रूर देती है और शयद ये समझाने की कोशिश भी करती है कि जो कुछ भी हो रहा है उसे, उसी तरह से सिर्फ होने दो| उस रात मौसम अच्छा था| बारिश के कारण थोड़ी सी ठण्ड बढ़ गयी थी| मैं  छत पर पंहुचा तो ठंडी हवा से मुझे थोड़ा हल्का महसूस हुआ जैसे धूप से तपते हुए शरीर पर पानी की बौछार पड़ गयी हो और राहत ने हलकी सी दस्तक देकर कहा हो की घबराओ नहीं, मैं हूँ न तुम्हारे साथ | यूँ तो इतनी गर्मी भी नहीं थी मगर न जाने क्यों मुझे ही घुटन महसूस हो रही थी |  शायद उसकी याद ने मुझे एक बार फिर किसी द्वन्द में फंसा दिया था | ये मेरा अपना ही अनुभव हो सकता है लेकिन मुझे हमेशा से ये लगता आया है  की हम जिस किसी शख्स से भी प्यार करते हैं उसकी यादों का एक हिस्सा हर पल हमे उसकी याद दिलाता रहता है | मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही घट  रहा था |  न चाहते हुए भी किसी की यादों का अचानक आ जाना कष्टदायक होता है लेकिन मुझे अब इस दर्द की आदत सी हो गयी थी |  खैर! मैंने खुले हुए आसमान की ओर देखा और