Mayoor Ke Pankh
इंतज़ार !!!!! इस शब्द को सुनते ही कई लोगों के चेहरे पर मायूसी के काले बादल मंडराने लगते हैं पर यकीन मानिये उर्दू भाषा का यह शब्द जितना दिलकश है, इसकी तासीर भी उतनी ही खूबसूरत है| बेशक़! हर शख्स की ज़िन्दगी में इस शब्द के मायने अलग हो सकते हैं लेकिन कहीं न कहीं इस शब्द का ठहराव हर इंसान की ज़िन्दगी में होता है| इंतज़ार का अर्थ है प्रतीक्षा और यही प्रतीक्षा तो हमें स्तिरथा के गुण सिखाती है| यह उस अनंत सागर की तरह है जिसकी ना ही कोई सीमाएं हैं और ना ही कोई गहराई बल्कि ये तो वो सुन्हेरा सफर है जिसमे यात्री अपनी मंज़िल से ज़्यादा यात्रा से प्रेम करता है| ये कहानी है इंतज़ार में गुज़रे उस वक़्त की जिसके पैमाने भले ही छोटे हों मगर गहरायी इतनी ज़्यादा है की उनमे सदियाँ बीत जायें| ये कहानी है शिव, शालिनी और मयूर के इंतज़ार की| आप चलना चाहेंगे मेरे साथ इस सफर पर? चलिए चलते हैं|| शहर के सबसे मशहूर स्कूल, St. Stephens Higher Secondary School, में जब शिव को दाखिला मिला तो उसके पूरे परिवार में खुशियाँ आ गयीं| शिव तेराह साल का था और पढ़ाई लिखाई से ज़्यादा उसे खेलना पसंद था| बचपन कितना खुशमिज़ाज होता है,