Mayoor Ke Pankh

इंतज़ार !!!!!


इस शब्द को सुनते ही कई लोगों के चेहरे पर मायूसी के काले बादल मंडराने लगते हैं पर यकीन मानिये उर्दू भाषा का यह शब्द जितना दिलकश है, इसकी तासीर भी उतनी ही खूबसूरत है| 
बेशक़! हर शख्स की ज़िन्दगी में इस शब्द के मायने अलग हो सकते हैं लेकिन कहीं न कहीं इस शब्द का ठहराव हर इंसान की ज़िन्दगी में होता है| 
इंतज़ार का अर्थ है प्रतीक्षा और यही प्रतीक्षा तो हमें स्तिरथा के गुण सिखाती है| यह उस अनंत सागर की तरह है जिसकी ना ही कोई सीमाएं हैं और ना ही कोई गहराई बल्कि ये तो वो सुन्हेरा सफर है जिसमे यात्री अपनी मंज़िल से ज़्यादा यात्रा से प्रेम करता है| ये कहानी है इंतज़ार में गुज़रे उस वक़्त की जिसके पैमाने भले ही छोटे हों मगर गहरायी इतनी ज़्यादा है की उनमे सदियाँ बीत जायें| ये कहानी है शिव, शालिनी और मयूर के इंतज़ार की| आप चलना चाहेंगे मेरे साथ इस सफर पर? चलिए चलते हैं|| 

शहर के सबसे मशहूर स्कूल, St. Stephens Higher Secondary School, में जब शिव को दाखिला मिला तो उसके पूरे परिवार में खुशियाँ आ गयीं| शिव तेराह साल का था और पढ़ाई लिखाई से ज़्यादा उसे खेलना पसंद था| बचपन कितना खुशमिज़ाज होता है, Cousins बेस्ट फ्रेंड्स होते हैं और उन्हें पीटना इस दुनिया का सबसे ज़्यादा सुखद और पुण्य का कार्य होता है| हम चाहें कितने भी बड़े क्यों न हो जाएं लेकिन बचपन हममे हमेशा ज़िंदा रहता है| शिव का पूरा परिवार अपने लाड़ले के लिए बहुत खुश था| घर में शिव के नए स्कूल जाने की तैयारियाँ चल रही थी| बाबा ने स्कूल ड्रेस, किताबें और नए जूतों का इंतेज़ाम कर दिया था| माँ भी शिव के लिए नया टिफिन बॉक्स ले आयी थी और इससे ज़्यादा शिव को क्या चाहिए था? नया क्रिकेट बैट|| 
जल्द ही वो बाबा को अपनी नयी फरमाइश बताएगा , ऐसा सोचकर वो सो गया| 

स्कूल का पहला दिन था और शिव बिलकुल समय से क्लॉस में पहुंच गया था| पहला पीरियड शुरू हुआ और फिर इंटरवल भी आ गया|  हैं?? सारे बच्चे कहाँ जा रहे हैं? शिव को तो मालूम ही नहीं हुआ की बीच के सारे पीरियड्स कब निकल गए| वो तो बेचारा हेड डाउन किये फर्स्ट पीरियड से इंटरवल तक किसी लड़की को देखे ही जा रहा था| आइये इनसे भी आपका परिचय करवा देते हैं| 
दरअसल, लड़कियों को दो प्रकार की श्रेणियों में बाटा जाता है:-
1). गाय :- ये लड़कियाँ साक्षात् माता का स्वरुप होती हैं| जीवन में बड़ी से बड़ी बाधाएँ आ जाये लेकिन कभी भी इनसे पंगा नहीं लेना चाहिए| 

2). शरीफ गुंडी :- ये लड़कियाँ  जितनी ज़्यादा खूबसूरत होती हैं उतनी ही ज़्यादा खूंखार भी| भलाई इसी में है की इनसे भी पंगा न लिया जाए | 

तो हमारी शालिनी जी दूसरी श्रेणी की Ultra Legend थीं| जी हाँ!! शालिनी, शिव का फर्स्ट साइट लव| 
अब आप सोच रहे होंगे की तेराह साल की उम्र में ये महाशय मोहब्बत की पतंग उड़ा रहे हैं, जब इन्हे अपनी पैंट पहनने की भी सहुर नहीं थीं, तो आपको जगजीत सिंह जी की वो ग़ज़ल याद दिला देते हैं जिसमे उन्होंने कहा है:-
"न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन 
जब प्यार करे कोई, तो देखे केवल मन"

अरे भाई!! स्कूल में अगर किसी लड़की से आपको प्यार नहीं हुआ तो यकीन मानिये आपने स्कूल लाइफ नहीं जी|| और शिव ने तो पहले दिन ही अपने प्यार के झंडे गाड़ दिए थे लेकिन वो ये भूल गया था की शालिनी से बड़ी शरीफ गुंडी पूरे स्कूल में और कोई नहीं थी| 
मजाल है की कोई लड़का approach भी कर दे| 
लेकिन बेचारा शिव तो शालिनी के रंग में रंग चूका था और कुछ ऐसा रंगा था की शालिनी के अलावा उसे कोई और नज़र ही कहाँ आता था| प्यार का प्रचार करने के लिए आपको किसी अखबार, website या फिर किसी न्यूज़ चैनल की ज़रूरत नहीं पड़ती है| ये कार्य तो आपके मित्र करते हैं, ये वही राक्षस होते हैं जो पिछले जन्म में आपके सबसे बड़े शत्रु रहे हो| ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर ये पुनर्जन्म लेते हैं और आपके मित्र बनकर आपके जीवन की चटनी बनाने का सौभाग्य ये अपने कंधो पर ले लेते हैं| शिव के भी ऐसे दो शत्रु थे, मेरा मतलब है मित्र थे जिन्होंने पूरे स्कूल में शिव की मोहब्बत का डंका बजा दिया था| इश्क़ के चर्चे अगर स्कूल में मशहूर हो जाये तो आपके रुतबे में काफी इज़ाफ़ा होता है, ये बात शिव को तब समझ में आयी जब उसके सीनियर्स ने उसे "शिव भाई" कहके बुलाना शुरू कर दिया| शिव के हौंसले तो काफी बुलंद थे लेकिन वो सबसे ज़्यादा अगर किसी से डरता था तो वो थी शालिनी|

लड़को को भी दो प्रकार की श्रेणी में विभाजित किया गया है:-
1). लोफर:- इस प्रकार के लड़के काफी दिलेर होते हैं और ये किसी के बाप से भी नहीं डरते सिवाए खुद के पिताजी से| इनके लिए कई उपनाम भी प्रसिद्ध होते हैं जैसे बेशरम, नालायक, बद्तमीज़, निठल्ले इत्यादि| 

2). लपड़झंनू :- शकल से अत्यंत शरीफ, व्यहवार कुशल, आज्ञाकारी और बड़े ही मासूम होते हैं| इनको भी गऊ का दूसरा स्वरुप कहा जा सकता है लेकिन अपनी दिल की बात कहने में इनका कलेजा हलक को आ जाता है और ये वही बेहोश हो जाते हैं|
हमारे शिव भैया लपड़झंनू श्रेणी के Super ultra legend थे| शालिनी जैसी शरीफ गुंडी से कभी अपने दिल की बात बोल ही नहीं पाए| 
दिन गुज़रते गए और साल बीतते गए, बोर्ड की परीक्षाएं भी ख़त्म हो गयी| सब बहुत खुश थे की अब एक्साम्स की टेंशन से उन्हें छुटकारा मिल गया है लेकिन उन सबमें शिव शामिल नहीं था| वो मायूस था की अब न जाने कब वो शालिनी को देख पायेगा| 

स्कूल ख़त्म हुए पूरे पांच साल बीत गए थे| शिव अब एक Environmental Organization, प्रकृति, के लिए काम करता था| पशु,पक्षी,वृक्ष संरक्षण शिव के जीवन का उद्देश्य थे| अपने काम से बहुत प्यार था शिव को, वो हमेशा जीव-जंतु और वनस्पति के लिए एक अलग नज़रिया रखता था| जुलाई के आखिरी दिन चल रहे थे| शिव एक शाम अपना काम पूरा करके घर को निकला तो आसमान से हल्की हल्की बौछार होने लगी| शिव जब तक Company Baagh पंहुचा तब तक बारिश काफी तेज़ हो गयी थी| कभी कभी बारिश भी बेहद सुकून देती है और आज शिव भी इस बारिश के सुकून में भीग रहा था| थोड़ी दूर आगे चलते ही  शिव को एक मोर की आवाज़ सुनाई दी| थोड़ा करीब पहुंच कर उसने देखा की एक मोर बारिश में अपने पूरे पंख फैलाकर नाच रहा है जैसे अपनी प्रियसी को तलाश रहा हो| शिव उसे काफी देर तक मंत्रमुग्ध होकर देखता रहा| फिर उसने धीरे से अपने बैग से कुछ खाने को निकाला और मोर की तरफ डालते हुए उसे आवाज़ दी "मयूर"!!!!!!
शिव की आवाज़ सुनते ही वो मोर वहाँ से कहीं गायब हो गया जैसे उसे डर हो की शिव कोई शिकारी है जो उसका शिकार करने आया है| शिव मुस्कुराया और बारिश में भीगते हुए अपने घर को चल दिया| 
"आवाज़ दो हमको, हम खो गए 
कब नींद से जागे, कब सो गए||"
शिव इस तराने को गुनगुना रहा था| संगीत और प्रेम का सम्बन्ध तो जुगो-जुगो से चलता आया है| अगर जीवन की देहलीज़ पर प्रेम ने दस्तक दी है तो संगीत से प्यार हो ही जाता है लेकिन अगर आपके जीवन में संगीत पहले से ही है तो आप अपने आप ही सबसे प्रेम करने लगते हैं| शिव के जीवन का आधार, संगीत ही तो था | 
अब शिव जब भी Company Baagh से गुजरता तो Eucalyptus के उस पेड़ के पास खड़े होकर ज़ोर से आवाज़ लगाता 'मयूर' और थोड़ी देर बाद मयूर की सुरमयी आवाज़ से फ़िज़ा भी गुनगुनाने लगती थी| दोस्ती में इतनी विनम्रता होती है कि कोई भी इसकी ओर आसानी से खींचा चला आता है| शिव और मयूर को एक दूसरे की आदत हो गयी थी | 

एक दिन जब शिव शाम को अपने ऑफिस से लौट रहा था तो बारिश की बूंदे उसे भिगोने के लिए आतुर थी| वो कंपनी बाघ के पास वाले "छुन्नू टी-स्टाल" में जाकर बैठ गया और बारिश के रुकने का इंतज़ार करने लगा| रेडियो पर एक गाना बज रहा था "बरसो रे मेघा मेघा"| इतना रंगीन मौसम, एक कप चाय और साथ में पकौड़े, ऐसा मौका रोज़-रोज़ कहाँ मिलता था उसे| बारिशें ज़िन्दगी पर चढ़ी दर्द, थकान और चिंताओं की धूल को साफ़ कर देती हैं| शिव अपनी चाय और गाने में डूबा हुआ था तभी उसे लगा की उसके सामने वाली कुर्सी पर एक लड़की आकर बैठ गयी है| शिव थोड़ा सा असहज हुआ लेकिन उसने गौर किया की अपने चेहरे पर दुपट्टा बांधे ये Ninja Turtle लड़की उसे ही घूरे जा रही थी| 
"माफ़ कीजिये! लेकिन क्या मैं आपको जनता हूँ?" शिव ने पूछा| 
उस लड़की ने अपना दुपट्टा हटाया और शिव को लगभग मोतियबिंद हो गया| वो तो भौचक्का रह गया| सामने एक बेहद खूबसूरत  शरीफ गुंडी बैठी थी| शालिनी!!!!!

कैसे हो शिव? शालिनी ने पूछा
ठीइइइइइ.....ठीक हूँ! शिव ने कहा 
भोलेनाथ! ये किस जनम का बदला लें रहें हैं आप मुझसे? Date पर भेजना ही था तो किसी सुशील एवं संस्कारी लड़की को भेजते, इसे क्यों भेज दिया आपने? शिव ने मन में रोते हुए कहा | 
तुम मुझसे इतना डरते क्यों हो शिव? स्कूल में भी तुम्हारी यही हालत होती थी| देखो कैसे तुम्हारे हाँथ काँप रहे हैं| 
शालिनी ने कहा
अजीब लड़की है| खुद ही मर्ज़ देती है और फिर पूछती है की आखिर बीमार क्यों हो? शिव ने मन में कहा| 
अच्छा चलो थोड़ी देर बारिश में टहलते हैं, शालिनी ने कहा 
शिव ने हाँ में सर हिला दिया | 

अब दोनों लोग बारिश में भीगते हुए कंपनी बाघ में टहल रहे थे| शालिनी ने शिव से फिर पूछा:- अभी भी डर लगता है बात करने में?
शिव कुछ नहीं बोला बस हल्का सा मुस्कुरा दिया | 
"आओ तुम्हे किसी से मिलवाता हूँ " शिव ने कहा 
शालिनी और शिव उस Eucalyptus के पेड़ के पास पहुंचे| शिव ने मयूर को आवाज़ दी और फिर बारिश की बूंदो में भी मल्हार के गीत सुनाई देने लगे| पक्षियों की आवाज़ इतनी सुरीली होती है कि फिर उन आवाज़ों में ही गीत गूंजने लगते हैं और मयूर की आवाज़ तो कुछ ऐसी थी कि आसमान की आँखें भी छलक पड़ती थी| 
शिव की आँखे शालिनी पर टिक गयी| इतनी खूबसूरत शायद वो पहले कभी नहीं लगी थी| शालिनी ने उसका हाथ पकड़ा और उसे किसी नींद से जगा दिया| शिव!! बारिश बंद हो गयी है| अब मुझे घर चलना चाहिए| 
"अब फिर कब?' शिव ने हिचकिचाते हुए पूछा| वो हस्ते हुए बोली:- कल शाम पाँच बजे|  शिव ने हस्ते हुए दोहराया "कल शाम पाँच बजे"| 

शिव और शालिनी अब रोज़ शाम पाँच बजे छुन्नू टी-स्टाल पर मिलने लगे थे| शिव अब शालिनी से काफी  घुल मिल गया था| शालिनी भी खुश थी की कम से कम अब शिव उससे डरता तो नहीं है| वो दोनों घंटो साथ गुज़ारते और हर मुद्दे पर बात करते थे| अपने काम, घर, दोस्त, सोसाइटी, सबके बारे में सिवाय एक दूसरे के| 
एक दिन शालिनी ने शिव से पूछ ही लिया:- शिव! स्कूल में मेरी सारी सहेलियाँ मुझे तुम्हारे नाम से चिढ़ाती थी| घर पर गली के आवारा लड़के तुम्हारे नाम से मुझे लव लेटर्स देते थे| 
जहाँ  जाती हूँ बस मुझे शिव ही शिव सुनाई देता है| शिव शिव शिव||| थक गयी हूँ मैं शिव| 
क्या अब भी तुम अपने दिल की बात मुझसे नहीं कहोगे? शिव कुछ बोल ही नहीं पाया बस वहाँ से उठा और शालिनी की तरफ़ देखकर बोला:- शालिनी तुम्हारे हर सवाल का जवाब है मेरे पास, लेकिन कल दूँगा| 
कल शाम पाँच बजे| 

अगले दिन शिव और  शालिनी  ठीक शाम पांच बजे छुन्नू  टी-स्टाल पहुंच गए  थे| दोनों  ने  ही आज चाय नहीं पी| शालिनी कुछ परेशान लग रही थी| उसने शिव की ओर देखा और फिर अपनी नज़रे उससे हटा ली| ऐसी बारिश कभी नहीं बरसी थी| शिव ने शालिनी से कहा:- उदास लग रही हो! चलो थोड़ी देर के लिए बारिश से मिलते हैं| 

इतना कहकर शिव उठा और बाहर जाने लगा, शालिनी भी उसके साथ चल दी| वो दोनों टहलते हुए Company baagh पहुंचे| शिव उसे Eucalyptus के पेड़ के पास ले गया और पास वाली बेन्च पर बैठने का इशारा करते हुए  हल्का सा मुस्कुराया| बारिश अब लगभग धीमी होकर रिमझिम रिमझिम बरस रही थी जैसे मेघा भी आज उन दोनों की बातें सुनना चाहती हो|  थोड़ी देर तक दोनों के बीच एक लम्बी ख़ामोशी छायी रही| दोनों ही लफ्ज़ो को आवाज़ देना चाहते थे मगर उनकी हिम्मतें हौसला तोड़ रहीं थी| शालिनी ने नम आँखों से शिव को आखिरी मर्तबा देखा और अपनी भरी हुयी आवाज़ में शिव से कहा:- अपना ख्याल रखना शिव!!
इतना कहकर वो उठी और वहाँ से जाने लगी| चंद कदम का फैसला ही तय कर पायी थी वो की शिव ने कुछ बोलना शुरू किया| वो पीछे मुड़ी और उसने देखा की शिव के हाथ में एक डायरी थी| हाँ||||| ये वही डायरी थी जो उसने स्कूल में खो दी थी और आज मिली भी तो कहाँ!! शिव के पास ||| 

वो शिव के पास जाकर बैठ गयी| शिव ने अपने आंसुओ को छिपाते हुए अपना गला साफ़ किया और फिर कुछ पढ़ना शुरू किया|

"लफ्ज़ो ने, ख़ामोशी से गुज़ारिश की है 
अब धड़कनों की आवाज़ को आज़ाद कर दे,
इब्तिदा में खुशरंग थी जो
मेरी उस नज़्म को शहनाज़ कर दे| 

सदियाँ गुज़ारी हैं इस अरमान में 
कि 
कभी तो बिखरेगी खुशबू मेरे ज़ाफ़रान से 
फिर भले ही तुम लाइल्म रहना उम्र भर,
मुश्तेख़ाक़ हो पाएंगे हम बड़े इत्मिनान से 
इस अरमान को आज परवाज़ कर दे 
इब्तिदा में खुशरंग थी जो 
मेरी उस नज़्म को शहनाज़ कर दे|| 

ख़ाकसारी से सिर्फ एक ये पैग़ाम देना है 
किसी के 
इंतज़ार करने का आज ईनाम लेना है 
सिर्फ इतना सा रहम कर दे ऐ-ख़ामोशी!
खते-तहरीर को अब अल्फ़ाज़ों में बयां करना है
अपनी बंदिशों से आज हमे आज़ाद कर दे
इब्तिदा में खुशरंग थी जो 
मेरी उस नज़्म को शहनाज़ कर दे
मेरी उस नज़्म को शहनाज़ कर दे|||"

शिव अब फूट-फूट कर रोने लगा, जैसे पिछले दस साल का दर्द, तकलीफ, उलझने सब एक साथ बाहर आ गए हो| शालिनी भी अपने आंसुओ को रोक नहीं पायी और दोनों एक साथ ज़ार-ज़ार रो रहे थे| बारिश अब तेज़ हो गयी थी और फ़िज़ा में मयूर की आवाज़ों के गीत गूंज रहे थे| शालिनी ने शिव का हाथ थामा और मासूमियत से पूछा:- क्या अब भी तुम्हे इस शरीफ गुंडी से डर लगता है? शिव ने शालिनी को देखा और दोनों रोते-रोते हँसने लगे| वो दोनों अब एक हो गए थे| शालिनी ने अपने भरे हुए गले को साफ़ करते हुए शिव से कहा:- आप तो साहिर लुधियानवी जी के शागिर्द मालूम पड़ते हैं| 
शिव के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई| 
तुम्हारे जितना अच्छा तो नहीं लिख पाती हूँ, लेकिन मैंने भी तुम्हारे लिए कुछ लिखा था, शालिनी ने कहा| 
 तो सुनाओ न! शिव ने कहा| 

"इस ज़िन्दगी के हर गुज़रते लम्हे में 
मैंने तुम्हारा दीदार किया है,
सिर्फ तुम्हारा इंतज़ार किया है 
सिर्फ तुम्हारा इंतज़ार किया है"

आगे न शालिनी कुछ कह पायी और न ही शिव ने उसे कुछ कहने के लिए कहा| मन का दर्द आँखों के बाँध से टूट कर बहने लगा| आज आसमान से बारिश की बूंदे नहीं बल्कि मयूर के पंख बरस रहे थे जैसे इंतज़ार की लम्बी रात को मिलन की रौशनी ने ख़त्म कर दिया हो| शिव ने बेंच के पास पड़े एक मयूर पंख को उठाया और शालिनी की तरफ उसे आगे बढ़ाते हुए बोला:- "तुम उतनी भी खतरनाक नहीं हो जितना मैं सोचता था| गुलाब के फूल से ज़्यादा मेरे लिए ये मयूर का पंख कीमती है| तो क्या तुम......क्या तुम....
शालिनी ज़ोर से हसी और बोली:- "लपड़झंनू"!!!!!
उसकी बात सुनकर शिव भी हसने लगा| 
मयूर के पंख ने आज एक नयी कहानी लिख दी थी|| 


शायद आपको ये लग रहा होगा की शिव की इस ग़ज़ल ने शालिनी को ये एहसास दिलाया की शिव उससे कितना प्यार करता है| लेकिन सच तो ये है की शालिनी ने शिव का प्यार उसके इंतज़ार में देखा| बिना किसी चाहत के, किसी उम्मीद के, शिव ने सिर्फ और सिर्फ शालिनी को चाहा और वो खुशकिस्मत था की शालिनी ने उसके प्यार को पहचान लिया| हर शख्स शिव की तरह भाग्यशाली नहीं होता लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं है की हम इंतज़ार करना छोड़ दें और अगर फिर भी आपको इंतज़ार की कोई सीमा तय करनी है तो मैं बस आपसे वही कहूंगा जो मैंने कभी किसी से कहा था, शायद उसे आज भी ये याद हो:-


इंतहा देखी ही कहाँ हैं तुमने इंतज़ार की,
समंदर के लिए कोई बंदिशे नहीं होती......


मयूर के पंख !!!!!


मेरी आवाज़ में लफ़्ज़ों की गुज़ारिश 

My YouTube Channel :- In Love With Poetry
https://youtu.be/-_9IEjgMDWA

Comments

  1. Sorrowful and incredible
    Keep on writing��

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  2. क्या बात है...... बोहोत ही अच्छा लिखते हैं आप... कहानी भी दिलकश और poetry तो.. क्या कहने... बोहोत ख़ूबसूरत 😊😊

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  3. Waah.. इतना सुंदर 🙈 😍😍👌👌👌👌👌👌👌👌 maan gye...🙏 साहित्य ki dunia me aapka naam aapke कद से भी अधिक ऊंचा hone wala hai.. 🙏🙏

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    1. Thank you so much Deepesh for your kind words and appreciation. This really means a lot to me...

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  4. Good work Avneesh!! ☺
    Interesting story with a captivating poetry. 👌👌

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    Replies
    1. Thank you so much Naz Ji. I was waiting for your feedback. thanks.....

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